saur urja - सौर ऊर्जा
भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है, “ध्यान देने योग्य नवाचार”
“सौर ऊर्जा” में अच्छे कॅरियर के लिये जरूरी है कि युवा कॅरियर की विभिन्न विधाओं से परिचित हों, और अपनी रुचि, योग्यता और क्षमताओं के अनुरूप अपने लिये उपयुक्त कॅरियर का निर्धारण करें। इस समय जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग से उपजी समस्याओं की वजह से देश और दुनियाभर में सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) के अधिकाधिक उत्पादन की ओर ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में शहरों से लेकर गांवों तक रोजगार के अवसर बढ़ने का परिचलन उभरता हुआ दिखाई दे रहा है। इस संदर्भ में हम “सौर ऊर्जा” में युवाओं का भविष्य कितना उज्जवल है, इस पर विस्तार से अध्ययन करेंगे-
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‘विषय सूची’
• “सौर ऊर्जा” के उद्योग की समझ
• नौकरी की भूमिकाएं और विवरण
• आवश्यक कौशल और योग्यताएं
• सौर ऊर्जा क्षेत्र संबंधी पाठ्यक्रम
• सौर उर्जा कोर्स के लिए जरूरी प्रवेश परीक्षा
• इंजीनियरों की बढ़ती मांग
• निम्न लिखित पदों पर रोजगार
की संभावनाएं
• इंडस्ट्री में इंजीनियरिंग क्षेत्र करियर
• क्षेत्र में सबसे बड़े बाजार भारत
• सौर ऊर्जा में आमदनी के कई अवसर
• निष्कर्ष
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“सौर ऊर्जा” उद्योग की समझ
सौर ऊर्जा के उदय में योगदान देने वाला एक अन्य कारक सौर पैनलों की बढ़ी हुई दक्षता है। निरंतर अनुसंधान और विकास के माध्यम से, सौर पैनल निर्माता प्रत्येक पैनल के ऊर्जा उत्पादन को अधिकतम करते हुए सूर्य के प्रकाश को बिजली में बदलने में सुधार करने में सक्षम हुए हैं। इस बढ़ी हुई दक्षता ने सौर ऊर्जा प्रणालियों को अधिक आर्थिक रूप से व्यवहार्य बना दिया है, क्योंकि वे समान मात्रा में सूर्य के प्रकाश से अधिक बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।
“सौर ऊर्जा” में नौकरी की भूमिकाएं और विवरण
“सौर ऊर्जा” इंजीनियर स्थान, जलवायु और उपलब्ध संसाधनों जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए सौर ऊर्जा परियोजनाओं की व्यवहार्यता निर्धारित करने और नौकरी का विवरण का अध्ययन करते हैं।
सोलर इंस्टॉलर उद्योग का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो सोलर पैनल और सिस्टम की स्थापना और रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं। वे आवासीय और वाणिज्यिक दोनों परियोजनाओं पर काम करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सौर पैनल ठीक से लगाए गए हैं, जुड़े हुए हैं और ऊर्जा उत्पादन को अनुकूलित करने के लिए संरेखित हैं।
सोलर इंस्टॉलर सोलर
सिस्टम के दीर्घकालिक प्रदर्शन और स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए नियमित
निरीक्षण और मरम्मत भी करते हैं। इसके अलावा, वे ग्राहकों को सौर ऊर्जा के लाभों के बारे में
शिक्षित करते हैं और सिस्टम रखरखाव और समस्या निवारण पर मार्गदर्शन प्रदान करते
हैं।
आवश्यक शैक्षणिक योग्यता
सौर ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न ब्रांचों के इंजीनियर्स के अलावा सामान्य कार्यों के लिए परम्परागत डिग्री और उपयुक्त प्रशिक्षण प्राप्त छात्रों के लिए अनेक अवसर हैं। आमतौर पर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करने वाले छात्र सौर ऊर्जा सेक्टर में कार्य करते हैं। इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, केमिकल इंजीनियरिंग एवं कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के छात्र भी इस क्षेत्र में आ सकते हैं।
अक्षय ऊर्जा या इंजीनियरिंग में प्रासंगिक प्रमाणपत्र और शैक्षणिक डिग्री प्राप्त करने से सौर ऊर्जा उद्योग में करियर की संभावनाओं में काफी वृद्धि हो सकती है। नॉर्थ अमेरिकन बोर्ड ऑफ सर्टिफाइड एनर्जी प्रैक्टिशनर्स (NABCEP) सोलर पीवी इंस्टॉलेशन प्रोफेशनल सर्टिफिकेशन जैसे प्रमाणपत्र विशेषज्ञता और विश्वसनीयता प्रदर्शित करते हैं।
पाठ्यक्रम
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार और कॅरियर से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रम मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और इंजीनियरिंग तथा टेक्नोलॉजी के इंस्टीट्यूशंस में उपलब्ध हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स अपनी रुचि, योग्यता और क्षमता के अनुरूप उपयुक्त पाठ्यक्रम तथा उपयुक्त संस्थान का चयन करके सौर ऊर्जा यानी स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में कॅरियर की राह पर आगे बढ़ सकते हैं। जो युवा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कॅरियर के लिए आगे आना चाहते हैं, उनके लिए सरकार के सूर्यमित्र कौशल विकास कार्यक्रम के तहत भी प्रशिक्षण लिया जाना उपयुक्त होता है।
सरकारी कार्यक्रमों के अलावा कई निजी संस्थान और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सोलर तकनीशियन प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। ऐसे में आप भी यदि उपयुक्त समझें तो अपने को आवश्यक कौशल और योग्यता से लैस करके तेजी से बढ़ते सौर ऊर्जा क्षेत्र में अच्छे कॅरियर की राह पर आगे बढ़ सकते हैं।
- नवीकरणीय में पीजी डिप्लोमा
- प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा
- सर्टिफिकेट कोर्स – छह महीने
- व्यवसाय उद्यमी पाठ्यक्रम – छह महीने
- तकनीशियन
- बिजनेस एसोसिएट प्रोग्राम
कोर्स के लिए जरूरी प्रवेश परीक्षा
पढ़ाई करने के लिए कई कोर्स उपलब्ध हैं। हालांकि उसमें दाखिला के लिए आपको प्रवेश परीक्षा देनी पड़ेगी। देश के सबसे बड़े इंजीनियरिंग संस्थानों आईआईटी, एनआईटी में प्रवेश लेने के लिए आप को जेईई की परीक्षा देनी होगी।
वेल्लूर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम, बिटसेट एंट्रेंस एग्जाम, महाराणा कॉमन एंट्रेंस टेस्ट इंजीनियर इंजीनियरिंग, कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी कर सकते हैं। जिसके बाद आप ग्रेजुएशन की पढ़ाई बीएससी इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, बीई व बीटेक इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स कर सकते हैं।
वहीं पोस्ट
ग्रेजुएशन एमई व एमटेक इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, एमएससी इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, बीटेक सोलर एंड अल्टरनेटिव एनर्जी
और एम टेक एन रिन्यूबल एनर्जी में कर सकते हैं। इसके अलावा कई यूनिवर्सिटी में
पोस्ट ग्रेजुएट लेवल एनर्जी एंड मैनेजमेंट तथा इससे संबंधित कोर्स संचालित करती
है।
सौर ऊर्जा इंजीनियरों की बढ़ती मांग
सौर ऊर्जा
इंजीनियर्स की तेजी से मांग बढ़ी है । सोलर इंजीनियर का कार्य सौर ऊर्जा से बिजली
उत्पादन की तकनीक पर काम करना होता है। वे सोलर - एनर्जी से संबंधित प्रोजेक्ट्स
की प्लानिंग, - डिजाइनिंग
से लेकर उसके एग्जीक्यूशन तक का कार्य संभालते हैं। उनकी देखरेख 5 में रूफटाप सोलर पैनल्स के
इंस्टालेशन होते हैं।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निम्नलिखित पदों पर रोजगार की संभावनाएं -
- इंजीनियरिंग टेक्नीशियन,
- सर्विस टेक्नीशियन,
- बिक्री इंजीनियर,
- फील्डर मैनेजर,
- सलाहकार,
- तकनीकी विशेषज्ञ,
- और वित्तीय विश्लेषक,
- परियोजना प्रबंधक
- पावर प्लांट ऑपरेटर,
- स्टोर प्रबंधक
- सहायक प्रबंधक,
- परियोजना डिज़ाइन इंजीनियर,
सौर ऊर्जा इंडस्ट्री में इंजीनियरिंग क्षेत्र की कौन कौन सी नौकरियां हैं
1. इंजीनियरिंग टेक्नीशियन- सौर ऊर्जा इंडस्ट्री में इंजीनियरिंग टेक्नीशियन के तौर पर काम किया जा सकता है. इंजीनियरिंग टेक्नीशियन का काम सोलर संबंधी प्रोजेक्ट पर काम के समय सिविल, मैकेनिकल और एनवायरमेंटल इंजीनियर व साइंटिस्ट को असिस्ट करना होता है. भारत में इंजीनियरिंग टेक्नीशियन की औसत सैलरी 8 लाख सालाना है ।
2. सर्विस टेक्नीशियन- सौर ऊर्जा सर्विस टेक्नीशियन का काम पीवी हार्डवेयर सिस्टम्स को मॉनिटर करना होता है. एक सोलर टेक्नीशियन की भी औसत सैलरी 20-25 हजार रुपये महीने है।
3. बिक्री इंजीनियर - सोलर एनर्जी सेक्टर में ग्रोथ होने से सेल्स और मार्केटिंग के लोगों की भी मांग में इजाफा देखने को मिल रहा है। टेक्निकल योग्यता के साथ एमबीए किए हुए लोगों के लिए नौकरियों के अवसर हैं।
4. फील्ड मैनेजर- सोलर फ्लीट मैनेजर सोलर प्लांट्स की देखरेख करते हैं. वे थर्ड पर्टी वेंडर्स ये संपर्क और उन्हें मैनेज करके ट्रांसपोर्ट और इंस्टालेशन में भी मदद करते हैं. भारत में सोलर फ्लीट मैनेजर की सैलरी औसतन 6 से सात लाख रुपये सालाना है।
5. सलाहकार – सौर उर्जा सलाहकार की भारत में बहुत अधिक मांग है, यह सौर ऊर्जा से जुड़े उनपकरणों की मदद से अत्यधिक उर्जा का निमार्ण करने तथा बाजार में उपलब्ध सामग्री के अनुसार ग्राहकों को सलाह देकर सोलर पैनल लगवाने का कार्य करते हैं।
6. तकनीकी विशेषज्ञ - सौर उर्जा क्टर में भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की डिमांड है. सॉफ्टवेयर इंजीनियर टेक्नोलॉजिकल टूल, सिस्टम और एप्स डिजाइन करते हैं. उनके प्रोग्राम सिस्टम डिजाइन और एनर्जी प्रोडक्शन की मॉनिटरिंग व खपत, फाइनेंस, सेल्स, एनर्जी इनवेस्टमेंट में मदद करते हैं. इसके अलावा टेस्टिंग, कोडिंग और सिस्टम डिप्लॉयमेंट जैसे स्पेशलाइज्ड काम में भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जरूरत होती है. विभिन्न वेबसाइट्स के अनुसार भारत में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी 60 से 70 लाख रुपये सालाना है.
7. वित्तीय विश्लेषक - सौर उर्जा
के क्षेत्र में खर्च की जाने वाली रकम का लेखाजोखा रखने का कार्य वित्तीय विश्लेषक
का रहता है। सरकारी नीतियां और सब्सिडी सौर प्रतिष्ठानों की मांग को आकार देने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उदाहरण के लिए, कर क्रेडिट और प्रोत्साहन में परिवर्तन उपभोक्ताओं और
व्यवसायों के लिए सौर ऊर्जा की सामर्थ्य और आकर्षण को बहुत प्रभावित कर सकते हैं।
8. परियोजना प्रबंधक – परियोजना
प्रबंधन का कार्य इस पद की विशेष जिम्मेदारी होती है, कहां
संयंत्र स्थापित करना है। इस विषय पर अनुभवी लोगें को मौका दिया जाता है। सौर ऊर्जा बाजार
वैश्विक आर्थिक स्थितियों से भी प्रभावित होता है। आर्थिक मंदी के दौर में, सौर प्रतिष्ठानों की मांग कम हो
सकती है क्योंकि व्यवसाय और व्यक्ति लागत में कटौती के उपायों को प्राथमिकता देते
हैं।
9. पावर प्लांट ऑपरेटर – पावर प्लांट
में सुचारू संचालन के लिए आपरेटर को रखा जाता है इसकी योग्यता कम से कम आईटीआई या
बारहवी उत्तीर्ण होना आवश्यक है। पैनलों
की दक्षता और भंडारण क्षमता में सुधार करना और सौर ऊर्जा की रुकावट को दूर करना।
हालाँकि, ये
चुनौतियाँ नवाचार और उन्नति के अवसर भी प्रस्तुत करती हैं।
10. स्टोर प्रबंधक – स्टोर
प्रबंधक का कार्य स्टोर में रखी हुई सामग्री का लेखाजोखा रखना सौर प्लेट मगवाना
उनका प्रबंधन करने का कार्य किया जाता है। मौजूदा बिजली ग्रिड में सौर ऊर्जा का एकीकरण एक और
तकनीकी चुनौती है। सौर ऊर्जा उत्पादन विकेंद्रीकृत है, जिसमें विभिन्न स्थानों पर स्थापनाएं फैली हुई हैं।
यह विकेंद्रीकृत प्रकृति ग्रिड स्थिरता और प्रबंधन के मामले में चुनौतियां पैदा कर
सकती है।
11. सहायक प्रबंधक – सहायक
प्रबंधक की भूमिका अति आवश्यक होती है। जिसे ऑफिस के साथ साथ बाजार की भी समझ
होनी चाहिए। निर्माण
टीमों और ग्राहकों के साथ सहयोग करते हैं, जिसके लिए प्रभावी संचार और पारस्परिक कौशल की
आवश्यकता होती है। समस्या निवारण और सिस्टम प्रदर्शन को अनुकूलित करने के लिए
समस्या-समाधान कौशल आवश्यक हैं।
12. परियोजना डिज़ाइन इंजीनियर – डिजाइनर इंजीनियर प्रोजेक्ट में लगने वाले एवं स्टाल किए जाने वाले संयंत्रों की रूपरेखा बनाने का कार्य करते हैं। वे सौर प्रौद्योगिकियों को बेहतर बनाने, नई सामग्रियों, डिजाइनों और विनिर्माण प्रक्रियाओं की खोज करने के लिए अध्ययन और प्रयोग करते हैं। शोधकर्ता नवाचार और दक्षता के अवसरों की पहचान करने के लिए डेटा और रुझानों का भी विश्लेषण करते हैं।
ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे बड़े बाजार भारत
भारत इस समय सौर ऊर्जा यानी स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े बाजार में से एक है। भारत ने गैर-जीवाश्म स्रोतों से 40 फीसदी ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लिया है। विगत 10 वर्षों में अक्षय ऊर्जा क्षमता में भारत ने करीब 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक की रिपोर्ट-2024 के मुताबिक सौर ऊर्जा उत्पादन में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। विगत 10 वर्षों में सौर ऊर्जा उत्पादन में 30 गुना वृद्धि हुई है और सौर ऊर्जा उत्पादन जून 2024 तक 85.47 गीगावॉट की ऊंचाई पर पहुंच गया है। हमारी सौर ऊर्जा क्षमता पिछले पांच वर्षों में 11 गुना से अधिक बढ़ गई है।
भारत में सौर ऊर्जा क्षेत्र में पिछले 3 वर्षों में प्राप्त होने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अक्षय ऊर्जा क्षेत्र पर विशेष जोर दिया गया है, जो 2030 तक अक्षय स्रोतों से 500 गीगावॉट ऊर्जा प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप है। इस बजट में सौर ऊर्जा क्षेत्र को 10,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला है, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है।
आमदनी के कई अवसर
पीएम सूर्य पर मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य छत पर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है। यह पहल स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देती है, रोजगार पैदा करती है। सूर्यमित्र कौशल विकास सकार्यक्रम (एसएसडीपी) युवाओं को सौर ऊर्जा परियोजना स्थापना, संचालन और रखरखाव में नौकरियों के लिए आवश्यक वा कौशल प्रदान किया है। यह विशेष रूप से बेरोजगार युवाओं, महिलाओं और ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोगों पर केंद्रित है।
निष्कर्ष –
सौर ऊर्जा में
करियर के रास्ते तलाशना पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने और स्वच्छ ऊर्जा
स्रोतों की ओर वैश्विक बदलाव में योगदान देने के इच्छुक पेशेवरों के लिए
अविश्वसनीय अवसर प्रस्तुत है। जबकि बाजार में उतार-चढ़ाव और तकनीकी प्रगति जैसी
चुनौतियाँ मौजूद हैं, सौर ऊर्जा करियर के लिए भविष्य की संभावनाएँ आशाजनक हैं।
FAQ
Q1. सौर ऊर्जा क्या है?
उत्तर- सौर ऊर्जा सूर्य से निकलने वाली
प्रकाश और ऊष्मा है, जो विद्धुत उत्पन्न करने के लिए सौर शक्ति तापीय
उर्जा जैसी तकनीको की शृंखला का उपयोग करके की जाने की प्रकिया सौर उर्जा है।
Q2. कितनी सौर ऊर्जा उत्पन्न होती है?
उत्तर- सौर उर्जा सम्पूर्ण
भारत में 5500 लाख करोड़ किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मीटर के बराबर सौर ऊर्जा आती है
जो कि विश्व की संपूर्ण विद्युत खपत से कई गुने अधिक है। साफ धूप वाले (बिना धुंध
व बादल के) दिनों में प्रतिदिन का औसत सौर-ऊर्जा का सम्पात 5 से 8 किलोवाट घंटा
प्रति वर्ग मीटर तक होता है।
Q3. क्या सौर उर्जा से खाना पकाया जा सकता है?
उत्तर- सौर उर्जा द्वारा
खाना पकाया जा सकता है इससे ईंधनों की बचत होती है। सौर कुकर या ओवन ऐसे उपकरण
होते है जो की खाना बनाने या गर्म करने के लिए प्रत्यक्ष रूप से सूर्य के प्रकाश
का उपयोग करते है। यह किसी भी प्रकार के ईंधन का उपयोग नहीं करते है| इस प्रकार इन्हे संचालित करना भी
बहुत सस्ता होता है।
Q4. क्या सौर उर्जा से मोबाइल चार्ज किया जा सकता है?
उत्तर-
हॉ, विस्तार
से पढ़े - सोलर प्लेट से निकले हुये लाल एवं
काला वायर के बीच 07805 ट्राजेस्टर को सोल्डर किया जाता है और सर्किट डायग्राम के
आधार पर ट्राजेस्टर से यूएसबी सॉकेट के 2 पॉइंट में सोल्डर किया जाता है | चार्जर पिन को सॉकेट मे लगाकर सौर
प्लेट को धूप पर रख कर मोबाइल चार्ज कर सकते है |यह सर्किट बहुत ही सरल है व कम लागत मे तैयार होने
वाला मोबाइल चार्जर है।
Q5. क्या सौर उर्जा से प्रणाली से पंखें और बल्ब जलाये
जा सकते है?
उत्तर- घरेलू सौर प्रणाली
के अन्तर्गत 5 से 7 एलईडी बल्ब जलाए जा सकते हैं, साथ ही इससे छोटा डीसी पंखा और एक छोटा टेलीविजन 3 से
4 घंटे तक चलाए जा सकते हैं। इस प्रणाली में 40 वाट का फोटो वोल्टायिक पैनेल व 50
अंपियर-घंटा की अल्प रख-रखाव वाली बैटरी होती है। ग्रामीण उपयोग के लिए इस प्रकार
की बिजली का स्रोत ग्रिड स्तर की बिजली के मुकाबले काफी अच्छा है।
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