Independence Day 15 August 1947 ('स्‍वतंत्रता दिवश' 15 अगस्‍त 1947) - inspirational indorian

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Independence Day 15 August 1947 ('स्‍वतंत्रता दिवश' 15 अगस्‍त 1947)

 

# भारत का महान पवित्र महापर्व - “स्‍वतंत्रता दिवश

Independence Day 15 August 1947

[15, अगस्‍त 1947]

15 अगस्त 1947 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया। यह दिन न केवल स्वतंत्रता की घोषणा का दिन था, बल्कि देश के लाखों लोगों के सपनों और संघर्षों का परिणाम भी था। इस दिन ने भारत को एक नई दिशा दी और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को सम्मानित किया। इस पृष्ठभूमि में, "ऐ मेरे वतन के लोगों" जैसे गीत ने हमारे दिलों में स्वतंत्रता और मातृभूमि के प्रति एक नई जागरूकता और सम्मान पैदा किया। इस दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता पंडित नेहरू ने भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराया और भारतीय राष्ट्र के स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा की।

Independence Day 15 August 1947

15 अगस्त 2024 को भारत स्वतंत्रता की 78वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस दिन का महत्व अब भी वही है, लेकिन आज की संदर्भ में यह दिन भारतीय लोकतंत्र, विकास और सामाजिक प्रगति का प्रतीक भी बन गया है। स्वतंत्रता के इन 77 वर्षों में भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में अपार प्रगति की है।

आज भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहा है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में हुए उल्लेखनीय प्रगतियों के साथ-साथ, भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और समाजिक न्याय के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

15 अगस्त 2024 को भारत की राजधानी दिल्ली में लाल किले पर आयोजित समारोहों में देश के राष्ट्रपति द्वारा देशवासियों को स्वतंत्रता के महत्व, एकता, और विकास की दिशा में निरंतर प्रयास करने की प्रेरणा दी जाएगी। इस दिन देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों, परेडों और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से स्वतंत्रता की धरोहर और भारतीय संस्कृति का उत्सव मनाया जाएगा। इस प्रकार, 15 अगस्त 2024 को स्वतंत्रता की इस गौरवमयी यात्रा की सफलता और भविष्य की दिशा को लेकर उत्साह और आशा का संचार होगा।                                                                - राजेश पाण्डेय

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(1)    भारतीय स्वतंत्रता का ऐतिहासिक दिन

Independence Day 15 August 1947

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 1857 की पहली स्वतंत्रता संग्राम के साथ मानी जाती है, जिसे भारतीय इतिहास में सिपाही विद्रोह के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि, ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आंदोलन की जड़ें बहुत गहरी थीं और यह संघर्ष कई दशकों तक चला। 1900 के दशक के प्रारंभ में, महात्मा गांधी ने अहिंसात्मक संघर्ष के माध्यम से स्वतंत्रता की लड़ाई को एक नई दिशा दी। उनकी नेतृत्व में चलाई गई असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई ऊर्जा और दिशा प्रदान की।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत ने एक नई दिशा में कदम रखा। यह दिन न केवल स्वतंत्रता के आनंद का प्रतीक था, बल्कि नए राष्ट्र के निर्माण के संकल्प का भी प्रतीक था। 15 अगस्त 1947 को मिली स्वतंत्रता ने भारतीय जनमानस को एक नई आशा और आत्मविश्वास दिया, जिसने उन्हें अपने देश को एक नया स्वरूप देने के लिए प्रेरित किया।

भारतीय संविधान का निर्माण भी इस समय की प्रमुख चुनौतियों में से एक था। डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान सभा ने 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को अपनाया, जिसने भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में स्थापित किया।

(2)    स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि

20वीं सदी की शुरुआत में, महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के साथ स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा को बदल दिया। गांधीजी के नेतृत्व में, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसी महत्वपूर्ण पहल शुरू हुईं। इन आंदोलनों ने भारतीय जनता को संगठित किया और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक सशक्त आवाज उठाई।

Independence Day 15 August 1947

(3)    15 अगस्त भारत का स्वतंत्रता दिवस कैसे बना?

30 जून, 1948 तक लॉर्ड माउंटबेटन को ब्रिटिश संसद द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित करने का जनादेश दिया गया था। हालाँकि अगर लॉर्ड माउंटबेटन ने 1948 तक इंतजार किया होता, तो राजगोपालाचारी के अनुसार सत्ता को स्थानांतरित करने के लिए नहीं छोड़ा जाता, इसलिए माउंटबेटन ने तारीख को अगस्त 1947 में स्थानांतरित कर दिया। माउंटबेटन द्वारा दी गई समीक्षा के ठीक बाद 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पेश किया गया था।

18 जुलाई  1947 को, भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को शाही स्वीकृति दी गई और यह लागू हो गया। इसने 15 अगस्त, 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन के अंत और भारत और पाकिस्तान के डोमिनियन की स्थापना का प्रावधान किया, जिन्हें ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने की अनुमति दी गई थी।

(4)    "ऐ मेरे वतन के लोगों"

"ऐ मेरे वतन के लोगों" एक ऐसा गीत है, जो हमें उस वक्त की याद दिलाता है जब देश आज़ाद हुआ था। इस गान को लिखने का श्रेय कवि प्रदीप को जाता है और इसे गाया था लता मंगेशकर ने। यह गान स्वतंत्रता संग्राम के दिनों की गाथा को व्यक्त करता है और देशभक्ति की भावना को जागृत करता है। यह गीत न केवल उस समय के संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है, बल्कि आज के समय में भी हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है।

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Independence Day 15 August 1947


ऐ, मेरे वतन के लोगों, तुम ख़ूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का, लहरा लो तिरंगा प्यारापर मत भूलो सीमा पर वीरों ने हैं प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो, कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर ना आए, जो लौट के घर ना आए

ऐ, मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुर्बानी
ऐ, मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुर्बानी

जब घायल हुआ हिमालय, ख़तरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस, लड़े वो...
जब तक थी साँस, लड़े वो, फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा सो गए अमर बलिदानी

जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुर्बानी
जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में...

जब हम बैठे थे घरों में वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने, थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुर्बानी

कोई सिख, कोई जाट, मराठा
कोई सिख, कोई जाट, मराठा
कोई गुरखा, कोई मद्रासी, कोई गुरखा, कोई मद्रासी

सरहद पर मरने वाला...
सरहद पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी
जो ख़ून गिरा पर्वत पर वो ख़ून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुर्बानी

थी ख़ून से लथपथ काया
फिर भी बंदूक उठा के दस-दस को एक ने मारा
फिर गिर गए होश गँवा के

जब अंत समय आया तो...
जब अंत समय आया तो कह गए कि अब मरते हैं
जब अंत समय आया तो कह गए कि अब मरते हैं

ख़ुश रहना देश के प्यारों, ख़ुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफ़र करते हैं, अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुर्बानी

तुम भूल ना जाओ उनको इसिलिए कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुर्बानी
जय हिंद, जय हिंद की सेना
जय हिंद, जय हिंद की सेना
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद
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(5)    एक नई दृष्टिे से स्वतंत्रता का उत्सव

दिन हमारे इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन था, जब भारत ने एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में जन्म लिया। स्वतंत्रता सेनानियों की अनगिनत कुर्बानियों के बाद देश ने अपनी आज़ादी हासिल की। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नेताओं ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि हम एक स्वतंत्र राष्ट्र की हवा में सांस ले सकें।

(6)    वर्तमान समय में स्वतंत्रता का मूल्य:

आज, 15 अगस्त के इस पावन अवसर पर, जब हम स्वतंत्रता का जश्न मना रहे हैं, हमें यह समझना होगा कि आजादी का मतलब केवल एक स्वतंत्र राष्ट्र नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है समाज की समृद्धि, समानता और न्याय की दिशा में चलना। स्वतंत्रता केवल एक अधिकार नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे अधिकारों के साथ-साथ हमारे कर्तव्य भी पूरे हों।

हमारे देश में आज कई मुद्दे हैं जिन पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। गरीबी, भ्रष्टाचार, अशिक्षा और असमानता जैसे मुद्दे हमारे समाज के सामने हैं। स्वतंत्रता के साठ साल से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद, हमें इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

(7)    आजादी के मूल्यों को बनाए रखना:

"ऐ मेरे वतन के लोगों" हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि यह एक निरंतर प्रक्रिया है। हमें स्वतंत्रता के मूल्यों को बनाए रखना और उन मूल्यों के प्रति समर्पित रहना चाहिए। यह हमें सिखाता है कि स्वतंत्रता का सही उपयोग करना, समाज की बेहतरी के लिए काम करना, और अपने देश की तरक्की के लिए योगदान देना हमारा कर्तव्य है।

(8)    सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति

हमारे समाज की जिम्मेदारी है कि हम स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले शहीदों की शिक्षाओं को अमल में लाएं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे समाज में कोई भी व्यक्ति भेदभाव, असमानता और अन्याय का शिकार न हो।

आर्थिक विकास के साथ-साथ, हमें सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी सशक्त बनाना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, और गरीबों के उत्थान के लिए काम करना स्वतंत्रता की सही भावना को अमल में लाने के लिए आवश्यक है।

सामाजिक दृष्टिकोण से, भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीबों, महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई पहल की गई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में, सार्वजनिक शिक्षा और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिनसे शिक्षा की पहुंच बढ़ी है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में, भारत ने स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया है। विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं और योजनाओं ने स्वास्थ्य सुविधाओं को ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों तक पहुंचाया है।

 (9)   77वें स्वतंत्रता के अवसर प्रधानमंत्री जी का संबोधन 15 अगस्‍त 2023

Independence Day 15 August 1947
मेरे प्रिय 140 करोड़ परिवारजन,

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और अब बहुत लोगों का अभिप्राय है ये जनसंख्या की दृष्टि से भी हम विश्व में नंबर एक पर हैं। इतना बड़ा विशाल देश, 140 करोड़ देश, ये मेरे भाई-बहन, मेरे परिवारजन आज आजादी का पर्व मना रहे हैं। मैं देश के कोटि-कोटि जनों को, देश और दुनिया में भारत को प्यार करने वाले, भारत का सम्मान करने वाले, भारत का गौरव करने वाले कोटि-कोटि जनों को आजादी के इस महान पवित्र पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

मेरे प्यारे परिवारजन,

पूज्य बापू के नेतृत्व में असहयोग का आंदोलन, सत्याग्रह की मूवमेंट और भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे अनगिनत वीरों का बलिदान, उस पीढ़ी में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसने देश की आजादी में अपना योगदान न दिया हो। मैं आज देश की आजादी की जंग में जिन-जिन ने योगदान दिया है, बलिदान दिए हैं, त्याग किया है, तपस्या की है, उन सबको आदरपूर्वक नमन करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं। आज 15 अगस्त महान क्रांतिकारी और अध्यात्म जीवन के रूचि तुल्य प्रणेता श्री अरविंदों की 150वीं जयंती पूर्ण हो रही है। ये वर्ष स्वामी दयानंद सरस्वती के 150वीं जयंती का वर्ष है। ये वर्ष रानी दुर्गावती के 500वीं जन्मशती का बहुत ही पवित्र अवसर है जो पूरा देश बड़े धूमधाम से मनाने वाला है। ये वर्ष मीराबाई भक्ति योग की सिरमौर मीराबाई के 525 वर्ष का भी ये पावन पर्व है। इस बार जब हम 26 जनवरी मनाएंगे वो हमारे गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ होगी। अनेक प्रकार से अनेक अवसर, अनेक संभावनाएं राष्ट्र निर्माण में जुटे रहने के लिए पल-पल नई प्रेरणा, पल-पल नई चेतना, पल-पल सपने, पल-पल संकल्प, शायद इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता।

मेरे प्यारे परिवारजन,

इस बार प्राकृतिक आपदा ने देश के अनेक हिस्सों में अकल्पनीय संकट पैदा किए। जिन परिवारों ने इस संकट में सहन किया है मैं उन सभी परिवाजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं और राज्य-केंद्र सरकार मिल करके उन सभी संकटों से जल्दी‍ से मुक्त हो करके फिर तेज गति से आगे बढ़ेंगे ये विश्वास दिलाता हूं…….

(10)  आधुनिक भारत

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग ने वैश्विक मानचित्र पर अपनी छाप छोड़ी है। भारत के प्रमुख आईटी कंपनियाँ और स्टार्टअप्स वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रगति ने भारतीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान किए हैं और देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया है। 

(11)   निष्कर्ष:

15 अगस्त 1947 और 15 अगस्त 2024 दोनों ही भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण दिन हैं, लेकिन इन दोनों के बीच की यात्रा ने भारत को एक नई दिशा और पहचान दी है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय का उत्साह और संघर्ष आज भी जीवित है, लेकिन आज के भारत की तस्वीर एक विकसित, समृद्ध और लोकतांत्रिक राष्ट्र की है।

स्वतंत्रता की इस यात्रा में जो भी संघर्ष, त्याग और समर्पण था, उसने भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेते हैं। 15 अगस्त 2024 को, स्वतंत्रता का उत्सव केवल अतीत की स्मृति नहीं है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के विकास की दिशा की ओर संकेत भी है।         

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