avani lekhara bhaarat kee goldan girl #अवनि लेखरा भारत की गोल्डन गर्ल
avani lekhara अवनि लेखरा
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अवनि लेखरा भारत की गोल्डन गर्ल की प्रेरणादायक यात्रा
परिचय:
अवनी लेखरा, भारत की एक पैरा शूटर, जिन्होंने अपने अद्वितीय साहस, संघर्ष, और दृढ़ संकल्प से पूरे देश को गर्व महसूस कराया है। पेरिस पैरालंपिक 2024 में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने न केवल इतिहास रचा, बल्कि वह सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बन गईं। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग SH1 खिताब का सफलतापूर्वक बचाव किया। इसके साथ ही वह गेम्स के इतिहास में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।
पैरा शूटर भारतीय ने फाइनल में 249.7 का स्कोर बनाया, जिसके साथ उन्होंने एक नया रिकॉर्ड पैरालंपिक में दर्ज किया और 249.6 के पिछले रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। पिछला रिकॉर्ड उन्होंने तीन साल पहले टोक्यो 2020 में अपने ओलंपिक डेब्यू में दर्ज किया था।
भारतीय निशानेबाज ने रिपब्लिक ऑफ कोरिया की ली युनरी को पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया, जिन्होंने 246.8 के स्कोर के साथ रजत पदक जीता और हमवतन मोना अग्रवाल, जो स्वर्ण पदक के राउंड में जगह नहीं बना सकीं और 228.7 के फाइनल स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता। ये दो पदक पेरिस 2024 पैरालंपिक में भारत के महिला के नाम पर पहले पदक थे।
इस लेख में हम अवनी लेखरा की जीवन यात्रा, उनकी संघर्ष की कहानी, और उनके अचीवमेंट्स पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
अवनी का जन्म 8 नवंबर 2001 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं और उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी जयपुर में ही हुई। एक साधारण परिवार से आने वाली अवनी की रुचि पढ़ाई और खेल दोनों में थी। लेकिन 2012 में एक कार दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। इस दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी को गंभीर चोटें आईं, जिसके कारण उन्हें जीवनभर के लिए व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा।दुर्घटना के बाद जीवन और संघर्ष:
दुर्घटना के बाद अवनी के जीवन में अंधकार छा गया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपने माता-पिता और कोच के समर्थन से उन्होंने शूइंग को अपने करियर के रूप में अपनाया। इस कठिन यात्रा में उनके माता-पिता और परिवार ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अवनी ने अपने संघर्ष से न केवल अपनी शारीरिक सीमाओं को पार किया बल्कि मानसिक दृढ़ता भी विकसित की।अवनी का कहना था कि मार्च में गाल ब्लैडर स्टोन (पित्ताशय की पथरी) की सर्जरी हुई थी । मार्च में विश्व कप था जिसके तुरंत बाद मैंने सर्जरी कराई। एक महीना बेड रेस्ट था। उसके बाददो सप्ताह और लगा पूरी तरह से रिकवर होने में। निशानेबाजी में संतुलन (बैलेंसिंग) बहुत महत्वपूर्ण होता है तो मूल संतुलन (कोर बैलेंस) बनाने में बहुत मेहनत करने लगी। इस पूरे दौर में मां का साथ था। अस्पताल में भी और खाने-पीने में भी पूरा ध्यान मेरी मॉं ने ही रखा है। उनके साथ-साथ मेरे फिजियो डा. सुमिता नायर भी इसमें सराहनीय योगदान रहा है। वह मेरे साथ 2018 से जुड़ी हैं। एक्सरसाइज बदलते रहे ताकि रिकवरी जितनी जल्दी संभव हो सके। हम ट्रेनिंग शुरू कर सकें। इसलिए ये कहना ठीक होगा कि यहां तक पहुंचना अकेले संभव नहीं हुआ यह पूरी टीम के प्रयास से ही ये सब संभव हुआ है।
शूटिंग में करियर की शुरुआत:
अवनी लेखरा ने शूटिंग में अपना करियर 2015 में शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने इस खेल को केवल मनोरंजन के लिए लिया, लेकिन जल्दी ही उन्होंने इसमें अपनी क्षमता को पहचाना और इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना लिया। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से शूटिंग में महारत हासिल की। 2017 में उन्होंने अपना पहला इंटरनेशनल कंपटीशन खेला और यहीं से उनकी सफलता की यात्रा शुरू हुई।टोक्यो पैरालंपिक 2020:
अवनी लेखरा का सबसे बड़ा मुकाम टोक्यो पैरालंपिक 2020 में आया, जब उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल SH1 कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। वह पहली भारतीय महिला पैरा एथलीट बन गईं जिन्होंने पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीता। इस ऐतिहासिक जीत ने उन्हें रातोंरात राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कर दिया।सम्मान और पुरस्कार:
अवनी लेखरा को उनकी उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें अर्जुन पुरस्कार, खेल रत्न, और पद्म श्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं। उनके सम्मान में कई संस्थानों और संगठनों ने भी उन्हें विभिन्न अवार्ड्स और सम्मान पत्र दिए हैं।समाज के लिए प्रेरणा:
अवनी लेखरा की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी यह संदेश देती है कि अगर आपके पास दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत करने की इच्छा है, तो कोई भी बाधा आपके रास्ते में नहीं आ सकती।निष्कर्ष:
अवनी लेखरा भारत की गोल्डन गर्ल avani lekhara bhaarat kee goldan garl की जीवन यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है जो न केवल खेल प्रेमियों को, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को प्रेरित करती है। उनका संघर्ष और सफलता यह साबित करता है कि यदि आप सच्चे दिल से कुछ करने की ठान लें, तो कोई भी चीज़ असंभव नहीं है। अवनी की यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि जिंदगी में चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए और कैसे उन्हें पार किया जाए।FAQs
1. अवनी लेखारा कौन हैं?
उत्तर: अवनि लेखारा एक भारतीय पैरालंपिक निशानेबाज हैं जिन्होंने पेरिस पैरालिंपिक 2024 में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।2. अवनि लेखरा की विकलांगता क्या है?
उत्तर: अवनी लेखरा को 2012 में एक कार दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी, जिसके कारण उन्हें कमर से नीचे लकवा मार गया था। वह चलने-फिरने के लिए व्हीलचेयर का इस्तेमाल करती हैं और शूटिंग की SH1 श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करती हैं, जिसे निचले अंगों की विकलांगता वाले एथलीटों के लिए डिज़ाइन किया गया है।3. अवनि लेखारा ने शूटिंग कब शुरू की?
उत्तर: अवनि लेखरा ने 2015 में शूटिंग शुरू की थी। शुरुआत में यह एक शौक था, लेकिन जल्द ही उन्हें अपनी क्षमता का एहसास हो गया और उन्होंने अनुभवी प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में गंभीरता से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया।4. अवनि लेखरा को कौन-कौन से पुरस्कार मिले हैं?
उत्तर: अवनि लेखरा को खेलों में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए मेजर ध्यानचंद खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं।
5. अवनि लेखारा ने टोक्यो पैरालिंपिक 2020 में किस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता?
उत्तर: अवनि लेखारा ने टोक्यो पैरालिंपिक 2020 में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।6. अवनि लेखरा ने टोक्यो पैरालिंपिक की तैयारी कैसे की?
उत्तर: अवनि लेखरा ने टोक्यो पैरालिंपिक के लिए कठोर प्रशिक्षण, मानसिक कंडीशनिंग और अपने कोचों और परिवार के समर्थन के साथ तैयारी की। उन्होंने उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपनी ताकत, सटीकता और मानसिक लचीलापन बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया।7. निशानेबाजी में SH1 श्रेणी क्या है?
उत्तर: शूटिंग में SH1 श्रेणी उन एथलीटों के लिए है जिनके निचले अंगों में विकलांगता है और जो राइफल या पिस्तौल का वजन खुद ही उठा सकते हैं। इस श्रेणी में वे एथलीट शामिल हैं जो व्हीलचेयर या कृत्रिम अंगों का उपयोग करते हैं।8. अवनि लेखरा की उम्र कितनी थी जब उन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीता?
उत्तर: अवनि लेखरा 19 वर्ष की थीं जब उन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक 2020 में स्वर्ण पदक जीता था।9. निशानेबाजी में अवनि लेखरा की अन्य क्या उपलब्धियां हैं?
उत्तर: टोक्यो पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा, अवनि लेखरा ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाजी प्रतियोगिताएं जीतकर खुद को दुनिया के शीर्ष पैरा-निशानेबाजों में से एक के रूप में स्थापित किया है।
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